चंद लहरें
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आज अचानक झोंका आया
पुरवैया का
आज अचानक खिला हृदय
मृदु हलकोरों से
आज रंगीनी धरती की फिर
सामने आई।
—
बूँद-बूँद की थिरकन लेकर
भरी उमग कर ताल तलैया
छम –छम नाची
आज अचानक पानी बरसा
झमक झमक कर।
—
छोड़ लाज को धरा हर्ष से हुई कंटकित
बिहँसी आई
तृण-तृण हरियाली से भर
प्रमुदित मन
भीग गयीजल की बाहों में
उमग चली बहकी मतवाली।
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आज अचानक रँग गहराया
घन प्रीतम का
आज अचानक झोंका आया
पुरवैया का।
आशा सहाय—२६–7 –2015—।
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