चंद लहरें
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कितना सरल है कहना
राम का नाम ही है
हृदय का गहना
पर,
कितनों ने गेरुए के रेशमी धागों मे
शान्ति और सम भाव को बुना !!
सीखना होगा अभी
जीवन के सम विषम मोड़ से
रसधार बनकर बहना
बहुत कठिन है पर,—
उच्छृंखल हो जाता है मन
एक लघु आघात से ही,
बिखर जाता है तब
सहज शान्ति का सारा सपना
करो हे जन-
करो राम का अवश्य पूजन
पर सत्य ही कठिन है,
सारा असत्य ही तो
जीवन है।
स्वार्थ के तिरोभाव का
अनुभाव है,मर्यादा राम की,
सेवा हनुमान की
प्रेम सीता का,,समर्पण लक्ष्मण का
त्याग भरत का
और औऱ–
मर्यादा के नाम पर
जीना और मरना।।
आशा सहाय — रामनवमी -2016
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