- 180 Posts
- 343 Comments
इतिहास तो इतिहास है
हम मेट नहीं सकते हैं उसे
वह काल पृष्ठ पर लिखा हुआ
कालिमा भरा या स्वर्णिम हो
वहकाल को भी स्वीकार्य है
इतिहास तो इतिहास है।
——-
यह राष्ट्रपटल की काल कथा
कितने इसमें जन्मे पनपे,
कितनो ने अपनी कथा लिखी
यह गाथा विजय पराजय की
वीरत्व और कायरता की
यह कालजनित उपहास है,
इतिहास तो इतिहास है।
——–
क्यों हमने संप्रभुता खोयी
खोयी क्यों निज एकता कभी
क्यो रखने दिया कदम उनको
अपने इस पावन धरती पर
अपनी कायरता का भीतो
यह लिखा हुआ इतिहास है
इतिहास तो इतिहास है।
——-
पन्नो पर जो है टँका हुआ
मानस को ज्योतित करता है
जीवन को सीख सदा देता
खलनायक पर आक्रोश उचित
किन्तु गर पन्ना एक फटे ,
इतिहास अधूरारह जाता
वह अमिट रेख समय की है
इतिहास तो इतिहास है।
——-
क्या उसे मिटा भर देने से
वह काल कभी मिट जाएगा?
स्मृतियों मेंरहना है उसे,
जीवन लांक्षित था जिससे हुआ
लांक्षित जीवन के हिस्सों से
कोई कितनों को काटेगा
इतिहास तो इतिहास है,
पन्नो पर वह तो दीखेगा।
———
माना कि दर्पण मे वह कुछ
अपनी अक्षमता दिखलाता
पर अक्षम ही हम क्यों थे कभी
यह प्रश्न अनुत्तरित सा रहता
——
अब आज हमारा पौरुष गर
इस कालपृष्ठ पर अंकित हो
पन्ना वह भी तो सुरक्षित हो
इतिहास सबक लेने को है
मेटे न किसी पन्ने को कोई
इतिहास तो इतिहास है।
आशा सहाय (पूर्व लिखित कविता –संदर्भ आज का)
Read Comments